क्यों होता है क्यों होता है
क्यों फूल खिलना भूल गए हैं, क्यों हवाओं मेंं अमनेपन की खूशबू नहीं क्यों फूल खिलना भूल गए हैं, क्यों हवाओं मेंं अमनेपन की खूशबू नहीं
'तेरे साथ यूँ ही चल पाते, तेरी तरह यूँ ही खुल के बरस पाते, 'तेरे साथ यूँ ही चल पाते, तेरी तरह यूँ ही खुल के बरस पाते,
अब रोता क्यों है... तनहा शायर हूँ अब रोता क्यों है... तनहा शायर हूँ
कहीं दिन तो कहीं अंधकार कैसे होता है मैं सोचता हूं अक्सर ये संसार कैसे होता है। कहीं दिन तो कहीं अंधकार कैसे होता है मैं सोचता हूं अक्सर ये संसार कैसे होता...
जाने क्यों.... जाने क्यों....